हम सभी जानते हैं कि विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा सुंदरवन का डेल्टा है। उस वन का नाम सुंदरवन इसलिए पड़ा क्योंकि वहां ” सुंदरी ” पेड़ों की बहुलता है। इसलिए सुंदरवन के नाम से वह वन प्रसिद्ध हुआ। हिंदू समाज अति प्राचीन काल से यहां रहता आया है , अतः हिन्दू समाज के कारण ही यह भूमि हिंदूभूमि कहलाती है।
माता के प्रति अधिक सम्मान , स्नेह और सद्भावना जताने के लिए उन्हें संबोधित करने की हमारी यह चिर-परंपरा रही है कि उनके नाम के पूर्व उनकी संतान का नाम जोड़कर हम उन्हें पुकारते हैं। जैसे – रामू की मां या गीता की मां। इसी पद्धति से हमारी मातृभूमि भी अपनी हिन्दू संतानों के नाम पर ” हिंदू भूमि ” अथवा ” हिन्दुस्थान ” के रूप में जानी जाती है।
विश्व में कुछ आप्त-वचन होते हैं , जिन्हें स्वत: प्रमाण माना जाता है। ” सत्यमेव जयते ” एक ऐसा ही आप्त-वचन है। इसी प्रकार ” भारत हिंदू भूमि है ” – यह भी एक आप्त-वचन है। इसकी सत्यता स्वयंसिद्ध है। उसके लिए अलग प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं है। हम सभी का कर्तव्य है कि सभी दिशाओं में सम्मिलित स्वर में इस आप्त-वचन को सर्वदा उद्घोषित करते रहें।
अपने राष्ट्र का लिखित इतिहास सिकंदर के आक्रमण के समय से मिलता है । सिकंदर जब यूनान से भारत की ओर चला था , तब बीच रास्ते में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य हिंदूकुश पर्वत पड़ा था। सिकंदर भारत पर आक्रमण करने ईसा से 326 वर्ष पहले आया था। इससे यह परिलक्षित होता है कि आज से 2025+326=2351 वर्ष पहले हिंदू शब्द का प्रयोग होता था। हिंदूकुश पर्वत का नामकरण सिकंदर ने नहीं किया था। हिन्दू नाम उससे भी काफी प्राचीन था।
पारसी मतावलंबियों का ग्रंथ जेंदा-अवस्ता है ,जो लगभग ईसा मसीह के जन्म के 2000 वर्ष पहले का है। उस जेंदा-अवस्ता ग्रंथ में ‘ हिंदूकन ‘ और ‘ हिंदू ” शब्द का प्रयोग हुआ है। इसका अर्थ यह हुआ कि आज से लगभग 4025 वर्ष पहले ” हिन्दू ” शब्द का प्रयोग हुआ था।
हमारे देश के ऋषि-मुनियों ने ही अपने देश के उत्तर में विश्व के वृहत्तम पर्वत का नाम हिमालय रखा था। अंग्रेजों ने यदि नाम रखा होता , तो वे संस्कृत शब्द ” हिमालय ” के बदले लैटिन शब्द आइसलैंड रखे होते। जैसे हिमालय काफी प्राचीन है , वैसे ही हिंदूकुश पर्वत भी काफी प्राचीन है।
इस बात को सर्वथा ध्यान में रखने की जरूरत है कि हिन्दू शब्द को न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने और न ही विश्व हिंदू परिषद ने सर्वप्रथम प्रयोग किया है। इसका प्रयोग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के पहले से ही होता आया है और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी इस शब्द का प्रयोग हुआ है। यही नहीं स्वाधीनता के पश्चात् भी भारत में इसका प्रयोग हुआ है।
।। भारत माता की जय ।।