GBS News24 Blog ओवैसी की आपत्ति के बाद संभल के डीएम और एसपी ने प्रेस कांफ्रेस कर जवाब दिया

ओवैसी की आपत्ति के बाद संभल के डीएम और एसपी ने प्रेस कांफ्रेस कर जवाब दिया

ओवैसी की आपत्ति के बाद संभल के डीएम और एसपी ने प्रेस कांफ्रेस कर जवाब दिया post thumbnail image

उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद के सामने खाली पड़ी ज़मीन पर सत्यव्रत पुलिस चौकी का निर्माण चल रहा है. जिसको लेकर AIMIM नेता असदउद्दीन ओवैसी की आपत्ति के बाद कल संभल के डीएम और एसपी ने प्रेस कांफ्रेस कर जवाब दिया. डीएम राजेन्द्र पेंसिया ने कहा कि जिस जगह पर पुलिस चौकी का निर्माण कराया जा रहा है उस जमीन के बारे में अभी तक कोई प्रभावी दावेदार सामने नहीं आया है. जिस वक्फ के नाम की बात कही जा रही है वह अनराजिस्ट्रर्ड है.

डीएम ने कहा कि 23 अगस्त 1929 को मोहम्मद अब्दुल समद निवासी मुहल्ला कोर्ट संभल ने एक अनराजिस्टर्ड वक्फ नामा लिखा है जिसमें 20 बिंदु मुख्य हैं. इनमें क्रम संख्या 1 से 20 तक तो संपत्तियां है. उनका अभिलेखीय परीक्षण और भौतिक परीक्षण 3 सदस्य टीम ने किया है. जिसमें एक एसडीएम, एक सीओ और एक ईओ ने किया है. इसमें खास बात यह है कि अभी तक किसी भी व्यक्ति ने हमे यह आवेदन नही दिया है कि ये हमारी संपत्ति हैं.

जिलाधिकारी ने कहा कि जिस स्थान की संपत्ति की बात हो रही है, 18, 19 और 20 नम्बर पर दर्ज है. उसमें वर्तमान में उस जगह पर इस नाम का कोई व्यक्ति निवास नहीं करता है. और उसका किसी भी प्रकार से कोई साक्ष्य नहीं है. इसमें ग्राम बिछौली और शेर खान सराय के बीच 4 किलोमीटर की पूरी भूमि इस अन रजिस्टर्ड वक्फनामे में दर्ज है. जिसमें किसी के स्वामित्व का कोई उल्लेख नहीं है. वर्तमान में इस भूमि पर न कोई मकान अस्तित्व में है और न कोई इस नाम का व्यक्ति वहां अस्तित्व में है. इसलिए इस भूमि की वास्तविकता के बारे में सवाल उठता है.

इस वक्फनामे में संभल की हजारों बीघा जमीन का बैनामा कर दिया गया है. जबकि मोहम्मद अब्दुल समद की अपनी संपत्ति का उसमें कोई उल्लेख नहीं है. उस वक्फनामे यह भी लिखा है कि मैं अपनी संपत्तियां मदरसों के निर्माण के लिए दे रहा हूं तो क्या कोई व्यक्ति अपनी हजारों बीघा संपत्ति मदरसे के निर्माण के लिए दे रहे हैं. क्रम संख्या 1 से 20 तक कि संपत्तियों में कहां मदरसे का निर्माण होना है कहां हुआ और कैसे हुआ? इसमें उसका कोई उल्लेख नहीं है. इसमें नगर पालिका के आसपास के जितने सारे सरकारी संस्थान हैं जिसमें तहसील, थाना, पुलिस चौकियां, प्राचीन कल्कि मंदिर और विवादित शाही जामा मस्जिद है. ये सब उस अनरजिस्टर्ड वक्फ बैनानामे की चौहद्दी के अंदर आता है. जो 50 रुपये के स्टाम्प के ऊपर लिखा गया है.

जिलाधिकारी ने कहा कि अगर मान भी ले कि ये वक्फ संपत्ति है तो वक्फ एक्ट 1995 की धारा 56 कहती है कि किसी भी वक्फ संपत्ति का क्रय विक्रय नहीं हो सकता. हमारे यहां कोई रजिस्ट्री बैनामा तो नहीं हुआ है लेकिन, बहुत से लोगों ने मौखिक रूप से और एग्रीमेंट के आधार पर खूब सारी संपत्तियों का क्रय विक्रय किया है और हो रहा है. इसलिए सीओ एसडीएम और ईओ की जांच कमेटी ने बताया है कि ये वक्फनामे के दस्तावेज फर्जी प्रतीत होते हैं. इस संबंध में कार्रवाई की जाएगी.

एसपी संभल कृष्ण कुमार विश्नोई ने कहा कि अभी तक जो कागजात कि जांच में पता चला है कि ये कोतवाली जिस में हम बैठे हैं यह भी वक्फ संपत्ति में बनी है. सभी वक्फ कागजात का वैरिफिकेशन कराया जायेगा और जिसने भी इसका उल्लंघन किया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आज एसडीएम सीओ और ईओ की जो जांच टीम ने रिपोर्ट दी है उसके हिसाब से मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.

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