वाराणसी : काशी के करोड़पति का निधन हो गया है, 80 करोड़ रुपए की सम्पत्ति के मालिक को अपना घर भी नसीब नहीं हुआ, वृद्धा आश्रम में ही जीवन गुजारना पड़ा, इकलौता बेटा होने के बावजूद भी बेटे ने पिता को मुख्यग्नि नहीं दी। यह है आज के पढ़े लिखे परिवार और बच्चों का हाल।
वाराणसी के साहित्यकार श्री नाथ खंडेलवाल जी का निधन हो गया है, जब बेटे और बेटी ने इन्हें घर से निकाला तो वह वृद्धा आश्रम में रहने लगे थे, शनिवार सुबह इनका निधन हो गया। वाराणसी प्रशासन द्वारा इनके बेटे और बेटी को इसकी ख़बर दी गई, लेकिन उन्होंने अन्तिम संस्कार में आने से मना कर दिया.. बेटा बड़ा बिजनेसमैन है, और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है, और दामाद भी वकील है, इसके बाद इनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
वाराणसी के साहित्यकार श्रीनाथ खंडेलवाल का शनिवार सुबह निधन हो गया। खंडेलवाल 80 करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक थे। उन्होंने 400 किताबें लिखीं थीं। आखिरी बार उन्होंने दैनिक भास्कर को इंटरव्यू दिया था, जिसमें कहा था- पुराना कुछ नहीं पूछिएगा। वो सब अतीत था, जिसे मैंने खत्म कर दिया। अब नया खंडेलवाल है, जो सिर्फ किताबें लिख रहा है। जब तक सांस है, कलम चलती रहेगी।
खंडेलवाल काशी कुष्ठ सेवा संघ वृद्धाश्रम में 17 मार्च, 2024 से रह रहे थे। श्रीनाथ खंडेलवाल ने शनिवार सुबह 9 बजे वाराणसी के ‘दीर्घायु अस्पताल’ में अंतिम सांस ली। इसके बाद भी उनके घर से कोई नहीं आया।
सूचना मिलते ही अमन कबीर दोस्तों के साथ अस्पताल पहुंचे। बेटा बनकर अमन कबीर ने साहित्यकार को मुखग्नि दी और पिंडदान किया।
वृद्धाश्रम के केयर टेकर रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने बताया, उन्हें 25 दिसंबर को सीने में जकड़न, सांस लेने में दिक्कत और किडनी की समस्या के कारण अस्पताल में एडमिट कराया गया। यहां इलाज के दौरान उनका शनिवार सुबह 9 बजे देहांत हो गया।
रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने तुरंत इसकी सूचना अमन कबीर को दी। अमन कबीर ने बताया- यहां आने के बाद सबसे पहले कमिश्नर कौशल राजा शर्मा को घटना की जानकारी दी गई। जिस पर उन्होंने परिजनों को सूचना देने को कहा।
श्रीनाथ खंडेलवाल के बेटे को फोन किया गया तो उसने आने में असमर्थता जताई। कहा- मैं बाहर हूं, नहीं आ सकता है। इसके बाद उनकी बेटी को फोन किया गया, लेकिन उसने भी फोन नहीं उठाया। न ही मैसेज का कोई जवाब दिया।
अमन कबीर ने बताया, इसके बाद हम लोग शव लेकर सराय मोहना घाट पहुंचे और उनका अंतिम संस्कार किया। मैंने पिडंदान किया, इसके बाद अजय कुमार के साथ उन्हें मुखाग्नि दी।
श्रीनाथ खंडेलवाल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उनका बेटा बड़ा बिजनेसमैन और बेटी सुप्रीम कोर्ट में वकील है। दामाद भी वकील है। उनके पास करीब 80 करोड़ की प्रॉपर्टी है। जिसे हड़प कर बेटे-बेटी ने उन्हें घर से निकाल दिया ।खंडेलवाल की उम्र 80 साल थी। गुलाम भारत में पैदा हुए खंडेलवाल ने 15 साल की उम्र में कलम पकड़ ली। श्रीनाथ खंडेलवाल ने बताया था- 10वीं फेल हूं और 15 साल की उम्र से किताबें लिख रहा हूं। ज्यादातर किताबें, अन्य किताबों और पुराणों का ट्रांसलेशन है। इसमें मुझे महारथ है। अभी तक 400 किताबें लिख चुका हूं। जिनमें कई पुराण भी हैं। शिव पुराण के 5 वॉल्यूम हैं, जो ऑनलाइन हैं। उसकी कीमत 6 हजार से ज्यादा है। ऐसी ही सैकड़ों किताबें ऑनलाइन हैं, लेकिन फिर भी घर से बेघर हूं। मत्स्य पुराण लिखी है, जो 3000 पन्नों की है। इसके अलावा शिव पुराण, पद्म पुराण लिखा। हिंदी, संस्कृत के अलावा असमी और बांग्ला में भी लिखा। अभी नरसिंह पुराण का अनुवाद हिंदी में कर रहा हूं। जल्द ही वह भी छप जाएगी। यह इच्छा उनकी अधूरी रह गयी।
सँस्कार हीन शिक्षा का हाल..