महाकुंभ मेले में दलाई लामा का संदेश – अहिंसा और एकता की सीख
रिपोर्ट: रविंद्र आर्य
प्रयागराज, महानगर: विश्व हिन्दू परिषद के अंतर्गत 144वें महाकुंभ मेले के शुभ अवसर पर महामहिम लिंग रिनपोछे ने प्रयागराज में आयोजित संत सम्मेलन में भाग लिया और श्रद्धालुओं को संबोधित किया।
यह महाकुंभ मेला पिछले 144 वर्षों में सबसे अधिक शुभ माना जा रहा है, क्योंकि इस दौरान ग्रहों की विशेष स्थिति बन रही है। दुनिया भर से लाखों तीर्थयात्री इस अवसर पर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज पहुंचे हैं।

हजारों संतों और तीर्थयात्रियों के समक्ष अपने प्रेरणादायक विचार प्रस्तुत करते हुए, महामहिम ने एकता (एकता) और अहिंसा (अहिंसा) की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति स्थापित करने के लिए धार्मिक सौहार्द और आपसी प्रेम आवश्यक है।
इस अवसर पर महामहिम को महामहिम दलाई लामा का विशेष संदेश पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसमें आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने और सभी जीवों के प्रति दयालुता बरतने का आह्वान किया गया था।

महाकुंभ मेले का विशेष महत्व
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है, जो हर 12 वर्षों में एक बार आयोजित किया जाता है। इस मेले में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं।
वैदिक ज्योतिषियों के अनुसार, 2025 का महाकुंभ मेला पिछले 144 वर्षों में सबसे शुभ माना जा रहा है। दुर्लभ ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति इसे और विशेष बना रही है।
शांति और सौहार्द का संदेश
महामहिम लिंग रिनपोछे ने अपने संदेश में कहा कि “एकता और अहिंसा ही मानवता की सच्ची पहचान है।” उन्होंने सभी धर्मों को साथ मिलकर कार्य करने और समाज में शांति एवं भाईचारे को बढ़ावा देने का आह्वान किया।
महामहिम दलाई लामा और लिंग रिनपोछे का यह प्रेरणादायक संदेश वैश्विक शांति और सद्भावना को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
महामहिम लिंग रिनपोछे और दलाई लामा के इन संदेशों से महाकुंभ मेला 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि वैश्विक शांति का प्रतीक भी बन गया है।
लेखक: रविंद्र आर्य 7838195666