GBS News24 Latest News,Local News,National शास्त्रों से रक्षा नहीं हो सकती। संस्कृतियों की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी हैं : राजा भैया , कुंडा विधायक

शास्त्रों से रक्षा नहीं हो सकती। संस्कृतियों की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी हैं : राजा भैया , कुंडा विधायक

शास्त्रों से रक्षा नहीं हो सकती। संस्कृतियों की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी हैं : राजा भैया , कुंडा विधायक post thumbnail image

कुंडा के विधायक राजा भैया ने महाकुंभ में कहा कि “हैदराबाद के एक नेता ने कहा कि पुलिस हटा दो तो 15 मिनट में पता चल जाएगा”। ऐसा नहीं लगता कि यदि हम गंभीरता से सोचें तो काफी हद तक उसकी बात सही है। यदि ऐसा हो जाए तो लगभग आधा हिंदू एक झटके में साफ हो जाएगा। आखिर हमारे पास है क्या? ना तो हम वंश वृद्धि कर रहे हैं और ना शस्त्र संचय कर रहे हैं । उन्होंने दिव्य प्रेम सेवा मिशन की ओर से आयोजित प्रोग्राम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हिंदू समाज को बहुत सी बुराइयां खत्म करनी होंगी। इसके अलावा अपने अस्तित्व के लिए भी प्रयास करने होंगे।

राजा भैया ने कहा, ‘यह बात सत्य है कि शास्त्रों से रक्षा नहीं हो सकती। संस्कृतियों की रक्षा के लिए शस्त्र जरूरी हैं। तक्षशिला खत्म नहीं होता। एक लुटेरे ने नालंदा को आग के हवाले कर दिया। महीनों तक वहां पुस्तकें जलती रहीं। हमारे प्रभु ने जब-जब अवतार लिया तो उन्होंने अस्त्र धारण किए। भगवान राम को जब वनवास हुआ तो वह सब कुछ छोड़ गए, लेकिन अपने अस्त्र साथ लेकर गए। हम मां की उपासना करते हैं तो वह भी शस्त्र सज्जित रहते हैं। हनुमान जी के हाथ से गदा नहीं छूटी और शिवजी के हाथ में त्रिशूल हमेशा रहता है। शास्त्र यह कहते हैं कि कब किसका प्रय़ोग करें, लेकिन वे यह नहीं कहते कि शस्त्र छोड़ दें।’ लेकिन सोचने की बात है कि हिंदू कर क्या रहे हैं। वे ना वंश बढ़ा रहे हैं और ना शस्त्र उनके पास हैं।

उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि मूर्ति विसर्जन पर भी हमले होते हैं। हमने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा। भारत में किसी ने भी शरण मांगी तो उसे मिली। हमारी यह शर्त तो नहीं थी कि धर्म बदल लो, तभी ऐसा होगा। भारत में मुसलमान, यहूदी और तिब्बती सभी को जगह दी गई। किसी भी भारतीय को इस पर आपत्ति नहीं थी। लेकिन समस्या तब शुरू होती है, जब आप कहें कि जो मेरा ईश्वर है, उसी को मानना होगा। ऐसा नहीं करोगे तो मारे जाओगे, हमले होंगे और आतंकी धमाके होंगे। यह हमले चाहे काशी, प्रयाग, अक्षरधाम में हों या फिर भारत की संसद में हों। जनसत्ता दल के लीडर ने कहा कि यह हर कोई मानेगा कि जितनी ज्यादा लूट, बलात्कार और हत्या हिंदुओं के साथ धर्म के नाम पर हुई है, उतनी किसी और के साथ नहीं हुई है। हमने शस्त्र छोड़े और जातियों में कूटनीति के नाम पर बांट दिए गए।

महाकुंभ में राजा भैया ने कहा, ‘यह बात सही है कि सनातन से पहले कुछ नहीं था। जो भी धर्म और पंथ आए, वह सनातन के बाद आए थे। सनातन की ऐसा धर्म है कि इसमें देवताओं ने अवतार लिए। उन्होंने कहा कि कुंभ में सनातन के ध्वजवाहक आते हैं। अब राजतंत्र नहीं है, लेकिन जब ऐसी व्यवस्था थी तो सभी राजाओं के मातहत आते थे। यहां वे अपनी समस्याओं के बारे में बात करते थे और संतों से मार्गदर्शन लेकर अपने राज्यों में कल्याणकारी योजनाएं लाते थे। यही कुंभ का असली अमृत हुआ करता था।’ इस दौरान उन्होंने महाराज शिवाजी का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत में बहुत लोग अपने साम्राज्य को बचाने और स्थापित करने के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन महाराज शिवाजी ऐसे थे, जिन्होंने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की। उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है।

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